10 Tips for Dealing with a Market Crash: जो कोई नहीं बताएगा!

 यहाँ कुछ जरूरी कदम दिए गए हैं, जिन्हें आपको उठाना चाहिए, और कुछ गलतियाँ जिनसे बचना चाहिए, जब बाजार अचानक से Crash हो जाये।

"Market Crash" सुनते ही ज़्यादातर लोगों के दिमाग में डर और नुकसान का ख्याल आता है, लेकिन असल में ये क्या होता है और क्यों होता है? आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं।

Market Crash

    जब भी शेयर बाजार में गिरावट आती है (Market Crash), तो निवेशकों के मन में डर और घबराहट बढ़ जाती है। हर कोई असमंजस में पड़ जाता है कि अब आगे क्या करना चाहिए। कई लोग सोचते हैं कि "क्या मुझे अपने स्टॉक्स बेच देने चाहिए?", तो कुछ इस उलझन में रहते हैं कि "यह सही समय है खरीदारी करने का या अभी और गिरावट आ सकती है?" बाजार में अचानक भारी गिरावट देख लोग panic selling करने लगते हैं, जिससे नुकसान और बढ़ सकता है। वहीं, कुछ निवेशक Uncertainty  के कारण कोई कदम ही नहीं उठाते और मौके गंवा देते हैं।

    लेकिन, बाजार के क्रैश से निपटने (Dealing with a Market Crash) का मतलब सिर्फ बचाव करना नहीं होता। सही रणनीतियों के साथ समझदारी से फैसले लेकर इस गिरावट को एक सुनहरे अवसर (Opportunity) में बदला जा सकता है। बड़े निवेशक और अनुभवी ट्रेडर्स जानते हैं कि हर गिरावट में एक नया मौका छिपा होता है, बशर्ते कि सही अप्रोच अपनाई जाए। गलत समय पर घबराकर लिए गए फैसले भारी नुकसान का कारण बन सकते हैं, जबकि सोच-समझकर बनाई गई रणनीति आपको लंबे समय में मजबूत स्थिति में रख सकती है।

    इसलिए, अगर आप एक समझदार निवेशक बनना चाहते हैं, तो आप सही जगह पे है, ये ब्लॉग मे ऐसे Top 10 तरीके के सुझाव दिए गए है, जो आपको गिरते हुए बाजार में भी सुनहरे अवसर प्रदान करेंगे, तो चलिये चलते है अपने ब्लॉग में बिना कोई वक्त बर्बाद किये.

    1. Don’t React Impulsively – भावनाओं में बहकर फैसला न करें

    जब भी शेयर बाजार में अचानक गिरावट आती है, तो हमारा दिमाग घबराहट में तेजी से फैसले लेने लगता है। "अब क्या होगा?", "सब बेच देना चाहिए?", "अगर और गिर गया तो?"  ऐसे सवाल मन में घूमने लगते हैं। इस डर के कारण ज्यादातर लोग बिना सोचे-समझे अपने स्टॉक्स बेच देते हैं या फिर नुकसान की भरपाई के लिए जल्दबाज़ी में कोई गलत ट्रेड ले लेते हैं। यही Impulsive (भावनात्मक) रिएक्शन होता है, जो अक्सर गलत साबित होता है।

    शेयर बाजार भावनाओं पर नहीं, बल्कि तर्क और लॉजिक पर काम करता है। जो लोग मार्केट के उतार-चढ़ाव को समझकर शांत रहते हैं, वे ज्यादा अच्छा प्रदर्शन करते हैं। अगर आप गिरावट के डर से बिना सोचे-समझे स्टॉक्स बेच देते हैं, तो हो सकता है कि आप एक बेहतरीन लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट से हाथ धो बैठें। कई बार, जब बाजार में गिरावट आती है, तो यह एक अच्छा खरीदारी का मौका भी हो सकता है  लेकिन सिर्फ तब, जब आप बिना घबराए ठंडे दिमाग से विश्लेषण करें।

    बड़े निवेशक जैसे वॉरेन बफे हमेशा कहते हैं, "Be fearful when others are greedy, and be greedy when others are fearful." यानी जब सब डरकर बेच रहे हों, तब आपको खरीदने का मौका देखना चाहिए। लेकिन इसके लिए धैर्य और रिसर्च की जरूरत होती है।

    अगर मार्केट क्रैश हो भी जाए, तो तुरंत प्रतिक्रिया देने से पहले अपनी रणनीति पर दोबारा सोचें, लॉन्ग-टर्म प्लान देखें, और स्थिति को तर्कसंगत रूप से समझें। याद रखें  घबराहट में लिया गया कोई भी फैसला आपके पोर्टफोलियो को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए इमोशनल नहीं, बल्कि स्मार्ट इन्वेस्टर बनें.

    2. Ask yourself: मुझे अपनी Assets को कितनी जल्दी निकालना होगा

    जब शेयर बाजार में गिरावट आती है, तो सबसे पहला सवाल जो आपको खुद से पूछना चाहिए वो यह है – "मुझे अपनी इन्वेस्टमेंट्स (Assets) कितनी जल्दी बेचनी पड़ सकती हैं?" यह सवाल इसलिए जरूरी है क्योंकि हर निवेश का एक समय-क्षेत्र (Time Horizon) होता है। अगर आपने पैसा शॉर्ट टर्म के लिए लगाया है, तो बाजार में गिरावट आपके लिए चिंता का विषय हो सकती है। लेकिन अगर आपका निवेश लॉन्ग टर्म का है, तो छोटी-मोटी गिरावट से घबराने की जरूरत नहीं है।

    मान लीजिए कि आपने वह पैसा शेयर बाजार में लगाया है जिसकी जरूरत आपको अगले 6 महीनों में पड़ने वाली है। अगर बाजार अचानक गिरता है, तो आप मजबूरी में नुकसान उठाकर अपनी होल्डिंग्स बेच सकते हैं। लेकिन अगर यही पैसा आपने अगले 5-10 साल के लिए इन्वेस्ट किया है, तो गिरावट आपके लिए एक निवेश का अवसर भी हो सकती है। इसीलिए, निवेश करने से पहले यह तय करना जरूरी है कि आपको कब और कितनी जल्दी अपने पैसों की जरूरत पड़ सकती है।

    इसके लिए Emergency Fund रखना बहुत जरूरी है। अगर आपके पास 6-12 महीनों का कैश रिजर्व है, तो मार्केट क्रैश में भी आपको मजबूरी में अपने स्टॉक्स बेचने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे आप गलत समय पर बेचने की गलती से बच सकते हैं और मार्केट रिकवरी का फायदा उठा सकते हैं।

    इसलिए, निवेश से पहले यह सोचना जरूरी है कि क्या आप मार्केट में गिरावट के दौरान भी धैर्य बनाए रख सकते हैं, या आपको पैसे तुरंत निकालने पड़ेंगे? सही जवाब ही आपकी इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजी को तय करेगा और आपको घबराहट में गलत फैसले लेने से बचाएगा.

    3. Diversify Your Portfolio

    "सभी अंडे एक ही टोकरी में मत रखो"  यह कहावत सिर्फ जिंदगी में ही नहीं, बल्कि निवेश में भी काम आती है। जब बाजार में गिरावट आती है, तो जिन निवेशकों का पैसा सिर्फ एक सेक्टर या एक तरह की एसेट (Asset) में लगा होता है, उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। लेकिन अगर आपने अपने पोर्टफोलियो को सही तरीके से डाइवर्सिफाई (विभाजित) किया है, तो जोखिम (Risk) काफी कम हो जाता है।

    डाइवर्सिफिकेशन का मतलब यह नहीं है कि बस कई सारे स्टॉक्स खरीद लें। इसका सही मतलब है – अलग-अलग सेक्टर्स, इंडस्ट्रीज और एसेट क्लास में सही संतुलन बनाना। उदाहरण के लिए, अगर आपका पूरा पैसा सिर्फ IT सेक्टर में है और टेक्नोलॉजी सेक्टर में गिरावट आती है, तो आपका पूरा पोर्टफोलियो नुकसान में जा सकता है। लेकिन अगर आपने FMCG, Pharma, Banking, और Energy सेक्टर में भी निवेश किया है, तो एक सेक्टर की गिरावट को दूसरा सेक्टर बैलेंस कर सकता है।

    इसके अलावा, डाइवर्सिफिकेशन सिर्फ स्टॉक्स तक सीमित नहीं है। आपको अपने निवेश को अलग-अलग एसेट क्लास में भी बांटना चाहिए,  जैसे कि शेयर मार्केट, गोल्ड, म्यूचुअल फंड्स, बॉन्ड्स और रियल एस्टेट। ऐसा करने से अगर किसी एक एसेट क्लास में गिरावट आती है, तो दूसरी एसेट क्लास आपकी सुरक्षा कर सकती है।

    सबसे जरूरी बात यह है कि डाइवर्सिफिकेशन आपके निवेश लक्ष्यों और जोखिम सहने की क्षमता (Risk Appetite) के अनुसार होना चाहिए। सही डाइवर्सिफिकेशन करने से आप बाजार की गिरावट को बेहतर तरीके से झेल सकते हैं और लंबे समय में अपने निवेश को सुरक्षित और फायदेमंद बना सकते हैं.

    4. Hedging Strategy अपनाएं – अपने निवेश को सुरक्षा कवच दें

    शेयर बाजार में निवेश करने का सबसे बड़ा डर यह होता है कि अगर बाजार अचानक गिर गया तो क्या होगा? इसी डर से बचने के लिए निवेशकों को Hedging Strategy अपनानी चाहिए। हेजिंग का मतलब है कि आप अपने पोर्टफोलियो को संभावित नुकसान से बचाने के लिए ऐसे इंस्ट्रूमेंट्स का इस्तेमाल करें, जो मार्केट गिरने पर भी फायदा दे सकते हैं। यह बिल्कुल उसी तरह है जैसे आप बारिश में भीगने से बचने के लिए छाता साथ रखते हैं। अगर आप सही हेजिंग रणनीति अपनाते हैं, तो बाजार की अस्थिरता के बावजूद आपका निवेश सुरक्षित रह सकता है।

    हेजिंग के लिए सबसे लोकप्रिय तरीका Put Options खरीदना है। यदि आपको लगता है कि बाजार गिर सकता है, तो आप Put Options खरीद सकते हैं, जो एक बीमा (Insurance) की तरह काम करता है और गिरते बाजार में भी आपको फायदा देता है। इसके अलावा, Gold में निवेश करना भी एक शानदार हेजिंग विकल्प है। इतिहास गवाह है कि जब शेयर बाजार गिरता है, तब सोने की कीमतें अक्सर बढ़ती हैं। इसलिए अपने पोर्टफोलियो का कुछ हिस्सा गोल्ड ETFs या फिजिकल गोल्ड में लगाकर बैलेंस बनाना एक अच्छा निर्णय हो सकता है।

    इसके अलावा, Debt Funds और Bonds में निवेश करना भी एक स्मार्ट हेजिंग रणनीति है। जब शेयर बाजार अस्थिर होता है, तब ये निवेश स्थिर रिटर्न देते हैं और जोखिम को कम करने में मदद करते हैं। एक अच्छा निवेशक वही होता है जो बाजार के उतार-चढ़ाव को समझते हुए अपने पोर्टफोलियो को सही तरीके से बैलेंस करे। हेजिंग अपनाकर आप बाजार के उतार-चढ़ाव के बावजूद अपने निवेश को सुरक्षित रख सकते हैं और लंबे समय तक फायदे में रह सकते हैं.

    5. Defensive Stocks में निवेश करें– जोखिम कम, सुरक्षा ज्यादा 

    जब बाजार में भारी उतार-चढ़ाव होता है या मंदी का माहौल बनता है, तो ज्यादातर निवेशक घबरा जाते हैं और सोचते हैं कि "अब क्या किया जाए?" ऐसे समय में Defensive Stocks आपके पोर्टफोलियो को सुरक्षित रखने में मदद कर सकते हैं। Defensive Stocks वे होते हैं जो बाजार की गिरावट में भी ज्यादा नुकसान नहीं उठाते क्योंकि इनका बिजनेस मॉडल स्थिर और जरूरी उत्पादों पर आधारित होता है।

    Defensive Stocks मुख्य रूप से उन सेक्टर्स से आते हैं जो हमेशा डिमांड में रहते हैं, चाहे बाजार की स्थिति कैसी भी हो। इसमें FMCG (Fast Moving Consumer Goods), Pharma (दवाइयां), Utilities (बिजली-पानी-गैस कंपनियां), और Healthcare सेक्टर शामिल हैं। उदाहरण के लिए, ITC, HUL, Nestlé, Dabur, Cipla, और Power Grid जैसी कंपनियां Defensive Stocks मानी जाती हैं क्योंकि लोग खाने-पीने, दवाइयों और बिजली-पानी जैसी जरूरी चीजों पर खर्च करना बंद नहीं कर सकते। यही कारण है कि जब बाजार गिरता है, तब भी इन कंपनियों की मांग बनी रहती है और इनके शेयर ज्यादा प्रभावित नहीं होते।

    Defensive Stocks में निवेश करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि ये मंदी के समय पोर्टफोलियो को स्थिर बनाए रखते हैं और अधिकतर समय अच्छे डिविडेंड भी देते हैं। हालांकि, इन स्टॉक्स का रिटर्न तेजी से बढ़ने वाले ग्रोथ स्टॉक्स जितना ज्यादा नहीं होता, लेकिन ये कम जोखिम और स्थिरता प्रदान करते हैं। अगर आप एक सुरक्षित और Balanced पोर्टफोलियो बनाना चाहते हैं, तो Defensive Stocks में निवेश जरूर करें.

    6. Rebalancing Strategy –पोर्टफोलियो को सही संतुलन दें

    शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव हमेशा बना रहता है, और समय के साथ आपके पोर्टफोलियो का संतुलन (Asset Allocation) बदल सकता है। ऐसे में, Rebalancing Strategy अपनाना बेहद जरूरी हो जाता है। इसका मतलब है कि आप अपने पोर्टफोलियो को समय-समय पर रिव्यू करें और जरूरत के हिसाब से उसमें बदलाव करें, ताकि आपका निवेश आपके फाइनेंशियल गोल्स और रिस्क प्रोफाइल के अनुसार बना रहे।

    मान लीजिए कि आपने शुरुआत में अपने पोर्टफोलियो में 70% पैसा Equity (शेयर बाजार) और 30% Debt (बॉन्ड्स, फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स) में लगाया था। अगर कुछ सालों में बाजार तेजी से बढ़ता है और आपकी Equity का हिस्सा 85% हो जाता है, तो आपका पोर्टफोलियो ज्यादा जोखिम भरा हो सकता है। ऐसे में, Rebalancing Strategy के तहत आपको कुछ Equity बेचकर Debt में शिफ्ट करना चाहिए, ताकि आपका मूल संतुलन (70-30) बना रहे। इसी तरह, अगर बाजार गिरता है और Equity का हिस्सा 50% रह जाता है, तो यह नया निवेश करने का अच्छा मौका हो सकता है।

    Rebalancing करने से आप जोखिम को नियंत्रित कर सकते हैं और बाजार के उतार-चढ़ाव का फायदा उठा सकते हैं। यह रणनीति आपको घबराहट में गलत फैसले लेने से बचाती है और लॉन्ग-टर्म में बेहतर रिटर्न पाने में मदद करती है। स्मार्ट इन्वेस्टर्स हमेशा Rebalancing Strategy अपनाते हैं ताकि उनका पोर्टफोलियो मजबूत और स्थिर बना रहे.

    7. Contrarian Investing – डर में खरीदो, लालच में बेचो

    जब बाजार में गिरावट आती है, तो ज्यादातर लोग घबरा जाते हैं और अपने स्टॉक्स बेचने लगते हैं। वहीं, जब बाजार नई ऊंचाइयों पर पहुंचता है, तो लोग बिना सोचे-समझे खरीदारी करने लगते हैं। लेकिन Contrarian Investing का सिद्धांत ठीक इसके विपरीत है  जब सब डर से बेच रहे हों, तब खरीदो, और जब सब लालच में खरीद रहे हों, तब बेचो।

    यह रणनीति उन निवेशकों के लिए होती है, जो बाजार के मूड (Sentiment) के खिलाफ सोचने की हिम्मत रखते हैं। उदाहरण के लिए, जब 2008 में शेयर बाजार क्रैश हुआ था, तब ज्यादातर निवेशक डर के कारण बाहर निकल गए, लेकिन जिन लोगों ने समझदारी से निवेश किया, वे बाद में भारी मुनाफा कमा पाए। यही रणनीति 2020 की कोविड-19 गिरावट में भी देखने को मिली, जहां कई बड़े निवेशकों ने गिरते बाजार में अच्छे स्टॉक्स खरीदे और अगले कुछ सालों में शानदार रिटर्न हासिल किए।

    Contrarian Investing का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप सस्ते में अच्छे स्टॉक्स खरीद सकते हैं, क्योंकि जब बाजार में डर होता है, तो मजबूत कंपनियों के शेयर भी कम दाम पर मिलते हैं। हालांकि, इस रणनीति के लिए धैर्य और गहरी रिसर्च जरूरी होती है। जरूरी नहीं कि हर गिरावट खरीदारी का मौका हो, लेकिन अगर आपने सही स्टॉक चुना और लंबे समय तक होल्ड किया, तो यह रणनीति आपको शानदार रिटर्न दे सकती है.

    8. Keep investing regularly– नियमित रूप से निवेश करते रहें

    शेयर बाजार में सफलता का सबसे महत्वपूर्ण मंत्र है  नियमित रूप से निवेश करते रहना। कई निवेशक बाजार के उतार-चढ़ाव को देखकर घबरा जाते हैं और निवेश करना बंद कर देते हैं या सही समय का इंतजार करते रहते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि कोई भी सही समय की भविष्यवाणी नहीं कर सकता। इसलिए सबसे बेहतर रणनीति यही है कि आप नियमित रूप से निवेश करें, चाहे बाजार ऊपर जा रहा हो या नीचे।

    जब आप नियमित रूप से निवेश करते हैं, तो आपकी लागत औसत (Rupee Cost Averaging) हो जाती है। उदाहरण के लिए, अगर आप हर महीने एक निश्चित रकम निवेश करते हैं, तो कभी आप महंगे दाम पर खरीदेंगे, तो कभी सस्ते दाम पर। इससे लंबी अवधि में आपका औसत खरीद मूल्य सही बना रहेगा और जोखिम कम होगा। यही कारण है कि SIP (Systematic Investment Plan) को निवेश के लिए सबसे अच्छा तरीका माना जाता है।

    इसके अलावा, बाजार में गिरावट के दौरान भी निवेश जारी रखना जरूरी है। जब बाजार नीचे होता है, तब आपको अच्छे स्टॉक्स सस्ते में मिलते हैं, जो आगे चलकर शानदार रिटर्न दे सकते हैं। इतिहास गवाह है कि जिन्होंने हर गिरावट में धैर्य रखा और निवेश जारी रखा, उन्होंने लंबी अवधि में बड़ा मुनाफा कमाया। इसलिए, बाजार के शॉर्ट-टर्म उतार-चढ़ाव को नजरअंदाज करें और अपने निवेश की आदत को बनाए रखें.

    9. Look for strategic opportunities– गिरावट में अवसर छुपे होते हैं

    शेयर बाजार में अस्थिरता हर निवेशक के लिए एक चुनौती होती है, लेकिन समझदार निवेशक इसमें भी स्ट्रैटेजिक मौके (Strategic Opportunities) तलाशते हैं। जब बाजार गिरता है, तो ज्यादातर लोग डर के कारण स्टॉक्स बेचने लगते हैं, लेकिन यही समय अच्छे निवेश अवसरों की पहचान करने का होता है। इतिहास गवाह है कि हर गिरावट के बाद बाजार ने वापसी की है, और जिन्होंने सही समय पर सही कंपनियों में निवेश किया, वे आगे चलकर अच्छा मुनाफा कमा सके।

    स्ट्रैटेजिक अवसरों की तलाश के लिए आपको वैल्यूएशन, फंडामेंटल्स और मार्केट ट्रेंड्स पर ध्यान देना होगा। कई बार मजबूत कंपनियों के स्टॉक्स भी बाजार की गिरावट में सस्ते दामों पर मिल जाते हैं। अगर कोई कंपनी अच्छी फंडामेंटल्स, मजबूत बैलेंस शीट और ग्रोथ पोटेंशियल रखती है, लेकिन बाजार के दबाव में उसके शेयर गिर गए हैं, तो यह निवेश का सुनहरा मौका हो सकता है।

    इसके अलावा, मार्केट ट्रेंड्स को समझना भी जरूरी है। किसी खास सेक्टर में मंदी चल रही हो, लेकिन उसका लॉन्ग-टर्म फ्यूचर अच्छा हो, तो वहां निवेश करना फायदेमंद साबित हो सकता है। उदाहरण के लिए, टेक्नोलॉजी, ग्रीन एनर्जी और हेल्थकेयर जैसे सेक्टर्स में गिरावट के दौरान निवेश करना भविष्य में अच्छा रिटर्न दे सकता है। इसलिए, जब बाजार में गिरावट आए, तो डरने के बजाय स्ट्रैटेजिक अवसरों की तलाश करें और समझदारी से निवेश करें.

    10. Economic Indicators पर नजर रखें

    शेयर बाजार में सफलता सिर्फ स्टॉक्स के दाम देखने से नहीं मिलती, बल्कि बड़े आर्थिक संकेतकों (Economic Indicators) को समझना भी उतना ही जरूरी है। ये संकेतक हमें बताते हैं कि अर्थव्यवस्था किस दिशा में जा रही है और आने वाले समय में बाजार कैसा प्रदर्शन कर सकता है। अगर आप इन संकेतकों पर नजर रखते हैं, तो बेहतर निवेश फैसले ले सकते हैं और बड़े जोखिम से बच सकते हैं।

    सबसे महत्वपूर्ण Economic Indicators में GDP ग्रोथ रेट, महंगाई (Inflation), ब्याज दरें (Interest Rates) और बेरोजगारी दर (Unemployment Rate) शामिल हैं। अगर GDP ग्रोथ अच्छी है, तो यह बताता है कि अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है, जिससे कंपनियों के मुनाफे भी बढ़ सकते हैं। वहीं, अगर महंगाई बहुत ज्यादा बढ़ रही है, तो इसका असर आम लोगों की खरीदने की क्षमता पर पड़ता है, जिससे बाजार में गिरावट आ सकती है। इसी तरह, अगर ब्याज दरें बढ़ रही हैं, तो कर्ज लेना महंगा हो जाता है, जिससे कंपनियों और निवेशकों दोनों पर असर पड़ता है।

    इसके अलावा, FIIs (Foreign Institutional Investors) और DIIs (Domestic Institutional Investors) की गतिविधियों को भी समझना जरूरी है। अगर विदेशी निवेशक बाजार में पैसा लगा रहे हैं, तो इसका मतलब है कि उन्हें भारत की अर्थव्यवस्था पर भरोसा है। लेकिन अगर वे लगातार पैसे निकाल रहे हैं, तो यह बाजार के लिए नकारात्मक संकेत हो सकता है। इसलिए, जब भी निवेश करें, तो सिर्फ स्टॉक्स की कीमत ही नहीं, बल्कि Economic Indicators पर भी नजर रखें, ताकि आप सही समय पर सही निर्णय ले सकें.

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    निष्कर्ष:

    समझदारी ही असली ताकत है!
               शेयर बाजार में गिरावट आना कोई नई बात नहीं है, लेकिन इसमें घबराने से कुछ हासिल नहीं होगा। असली जीत उसी की होती है जो डर में भी शांत रहता है और मौके को पहचानकर सही कदम उठाता है। अगर आप भावनाओं के बजाय रणनीति से निवेश करेंगे, तो बाजार का हर उतार-चढ़ाव आपके लिए एक नया अवसर बन सकता है।

     बेवजह घबराने के बजाय सही डेटा को समझें, अपने निवेश को संतुलित और विविधतापूर्ण बनाए रखें और बाजार की गिरावट को सीखने और मजबूत बनने का अवसर समझें। याद रखें, शेयर बाजार में असली पैसा वही कमाते हैं जो धैर्य रखते हैं, सोच-समझकर फैसले लेते हैं और हर परिस्थिति में सीखने के लिए तैयार रहते हैं। तो अगली बार जब बाजार गिरे, तो इसे समस्या की तरह नहीं, बल्कि एक नए मौके की तरह देखें। समझदारी से निवेश करें, धैर्य रखें और लंबी अवधि में सफलता का आनंद लें.

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    FAQ

    बाजार गिरने पर मुझे क्या करना चाहिए – स्टॉक्स बेचने चाहिए या होल्ड करने चाहिए?

    जब बाजार में गिरावट आती है, तो सबसे बड़ी गलती घबराहट में स्टॉक्स बेचना होती है। बाजार हमेशा उतार-चढ़ाव भरा रहता है, इसलिए धैर्य रखना और अपने निवेश की सही रणनीति पर टिके रहना जरूरी है। अगर आपकी होल्डिंग्स मजबूत कंपनियों में हैं, तो घबराने की जरूरत नहीं है।

    क्या बाजार के गिरने पर निवेश करना एक अच्छा मौका होता है?

    बिल्कुल! बाजार में गिरावट अक्सर अच्छे स्टॉक्स को सस्ते में खरीदने का मौका देती है। लेकिन बिना सोचे-समझे निवेश करने के बजाय, यह देखना जरूरी है कि कौन से स्टॉक्स वाकई फंडामेंटली मजबूत हैं और लॉन्ग-टर्म में ग्रोथ दिखा सकते हैं।

    मुझे अपने पोर्टफोलियो को कितनी बार Rebalance करना चाहिए?

    पोर्टफोलियो Rebalancing कोई रोज़ का काम नहीं है, लेकिन हर 6 महीने या साल में एक बार अपने निवेश की समीक्षा जरूर करें। अगर आपके एसेट्स का बैलेंस बहुत ज्यादा बदल गया है (जैसे Equity बहुत ज्यादा हो गई या Debt बहुत कम), तो उसे सही अनुपात में लाना जरूरी होता है।

    Defensive Stocks क्या होते हैं और क्या मुझे इनमें निवेश करना चाहिए?

    Defensive Stocks वे होते हैं जो बाजार गिरने पर भी ज्यादा नुकसान नहीं उठाते, क्योंकि इनका बिजनेस मॉडल जरूरी उत्पादों (जैसे FMCG, Healthcare, Utilities) पर आधारित होता है। अगर आप अपने पोर्टफोलियो में स्थिरता चाहते हैं, तो इन स्टॉक्स को जरूर शामिल करें।

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