शेयर बाजार में 90% लोग क्यों हारते हैं?वजह जानकर हैरान रह जाएंगे!

 शेयर बाजार में पैसा कमाना जितना आसान लगता है, असल में उतना ही मुश्किल होता है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि लगभग 90% लोग शेयर बाजार में पैसा गंवा बैठते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? क्या इसकी वजह सिर्फ गलत स्टॉक्स चुनना है या फिर इसकी जड़ें हमारी मानसिकता (Mindset) और इमोशन्स (Emotions) से जुड़ी हैं?

इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे कि शेयर बाजार में 90% लोग क्यों हारते हैं और वे कौन-सी मानसिक गलतियां करते हैं, जिनकी वजह से वे अपने पैसे गवां बैठते हैं।

Emotion of Stock Market

    इन्वेस्टिंग साइकोलॉजी क्या है?

    क्या आपने कभी सोचा है कि जब स्टॉक मार्केट गिरता है तो लोग डरकर अपने शेयर बेच देते हैं, लेकिन वही बड़े निवेशक (Big Investors) इसे खरीदने का मौका मानते हैं? या जब बाजार तेजी से ऊपर जाता है, तो आम लोग लालच में आकर ज्यादा पैसा लगाने लगते हैं, जबकि स्मार्ट निवेशक धैर्य बनाए रखते हैं? यही फर्क है इन्वेस्टिंग साइकोलॉजी (Investing Psychology) का।

    असल में, इन्वेस्टिंग साइकोलॉजी का मतलब है  आप शेयर बाजार में कैसे सोचते हैं, कैसे प्रतिक्रिया देते हैं और आपके इमोशन्स कैसे आपके फैसलों को प्रभावित करते हैं।

    जब बाजार गिरता है, तो डर (Fear) आपको बेचने पर मजबूर कर देता है। जब बाजार ऊपर जाता है, तो लालच (Greed) आपको ज्यादा पैसा लगाने के लिए प्रेरित करता है। लेकिन जो व्यक्ति इन दोनों इमोशन्स पर काबू पा लेता है, वही असली सफल निवेशक बन पाता है।

    अगर आप अमीर बनना चाहते हैं, तो आपको अपनी मानसिकता पर काम करना होगा। बाजार के उतार-चढ़ाव से प्रभावित होने के बजाय, आपको एक ठंडे दिमाग से लॉन्ग टर्म प्लान पर टिके रहना होगा। यह समझना बहुत जरूरी है कि शेयर बाजार का असली खेल आपके दिमाग में होता है, न कि मार्केट में।

    अब सवाल यह है  क्या आप अपनी इन्वेस्टिंग साइकोलॉजी को मजबूत करने के लिए तैयार हैं?

    डर (Fear) और लालच (Greed) का खेल:

    अगर आप शेयर बाजार में सफल होना चाहते हैं, तो आपको यह समझना होगा कि बाजार सिर्फ नंबर और ग्राफ का खेल नहीं है, बल्कि यह आपके इमोशन्स का भी खेल है। शेयर बाजार में दो सबसे बड़े दुश्मन हैं  डर (Fear) और लालच (Greed)।

    डर (Fear):

    मान लीजिए आपने ₹1,00,000 का निवेश किया और अचानक बाजार गिर गया। आप देख रहे हैं कि आपके निवेश का मूल्य घटकर ₹80,000 रह गया है। अब आपके मन में क्या आएगा? डर! आपको लगेगा कि अगर बाजार और गिरा तो आपका सारा पैसा डूब जाएगा। और इसी डर के कारण आप घाटे में ही स्टॉक बेच देते हैं।

    लेकिन सोचिए, अगर आप धैर्य रखते और होल्ड करते, तो कुछ महीनों बाद बाजार रिकवर होता और आपका निवेश ₹1,50,000 तक भी जा सकता था। यह डर ही है जो लोगों को लॉन्ग टर्म में बड़ा फायदा लेने से रोकता है।

    लालच (Greed):

    अब इसका उल्टा देखिए। मान लीजिए बाजार लगातार बढ़ रहा है और हर कोई मुनाफा कमा रहा है। आपके अंदर भी लालच जागता है कि और पैसा लगाकर जल्दी अमीर बन जाएं। आप बिना सोचे-समझे और रिसर्च के ज्यादा पैसा लगा देते हैं।

    लेकिन जैसे ही बाजार गिरता है, आपका सारा पैसा फंस जाता है। और तब आपको अहसास होता है कि लालच के कारण आपने गलती कर दी।

    👉 सीख: अगर आप डर और लालच पर काबू नहीं पाएंगे, तो आप कभी सफल निवेशक नहीं बन पाएंगे। बाजार के उतार-चढ़ाव को सामान्य मानें और लॉन्ग टर्म प्लान पर टिके रहें।

    लॉस होने पर इमोशनल रिएक्शन:

    क्या आपने कभी गौर किया है कि जब शेयर बाजार में आपको मुनाफा होता है, तो आप बहुत खुश हो जाते हैं और खुद को स्मार्ट इन्वेस्टर समझने लगते हैं। लेकिन जैसे ही लॉस होता है, आपके इमोशन्स पूरी तरह से बदल जाते हैं।

    मान लीजिए आपने ₹1,00,000 इन्वेस्ट किए और कुछ समय बाद मार्केट गिर गया, जिससे आपकी वैल्यू ₹70,000 हो गई। अब आप घबरा जाते हैं और सोचने लगते हैं  "काश मैंने इन्वेस्ट ही नहीं किया होता।" या "मैंने यह गलत स्टॉक क्यों लिया?" और फिर बिना सोचे-समझे आप स्टॉक बेचकर घाटा उठा लेते हैं।

    असल में यह आपका इमोशनल रिएक्शन होता है, न कि तर्कसंगत फैसला। जब लॉस होता है तो हमारा दिमाग नेगेटिव सोचने लगता है और हम लॉन्ग टर्म ग्रोथ को भूलकर तुरंत नुकसान से बचने की कोशिश करते हैं।

    लेकिन सच्चाई यह है कि बड़ा निवेशक लॉस के समय शांत रहता है और अपना स्टॉक होल्ड करता है। वह जानता है कि लॉस अस्थायी है और मार्केट में हमेशा रिकवरी आती है। लेकिन नए निवेशक डर के कारण तुरंत स्टॉक बेच देते हैं और घाटा उठा लेते हैं।

    👉 सीख: लॉस होने पर इमोशनल रिएक्शन देने के बजाय, ठंडे दिमाग से सोचें। मार्केट के उतार-चढ़ाव को सामान्य मानें और लॉन्ग टर्म में टिके रहें। तभी आप बड़ा मुनाफा कमा सकते हैं।

    लॉन्ग टर्म vs शॉर्ट टर्म में इमोशन्स का रोल:

    क्या आपने गौर किया है कि जब आप शॉर्ट टर्म (Short-Term) में निवेश करते हैं, तो आपके इमोशन्स ज्यादा हावी रहते हैं?

    👉 अगर मार्केट गिरा  तो तुरंत बेचने का मन करेगा। 👉 अगर मार्केट बढ़ा  तो और पैसा लगाने का मन करेगा।

    लेकिन जब आप लॉन्ग टर्म (Long-Term) के लिए निवेश करते हैं, तो आपके इमोशन्स धीरे-धीरे शांत हो जाते हैं। आप जानने लगते हैं कि मार्केट के उतार-चढ़ाव नॉर्मल हैं।

    शॉर्ट टर्म इन्वेस्टिंग में इमोशन्स कैसे काम करते हैं?

    • डर: मार्केट गिरते ही बेचने का मन करेगा।

    • लालच: तेजी आते ही और पैसा लगाने का मन करेगा।

    लॉन्ग टर्म इन्वेस्टिंग में इमोशन्स कैसे काम करते हैं?

    • धैर्य: गिरावट को अवसर मानते हैं।

    • विश्वास: अच्छे कंपनियों पर भरोसा रखते हैं।

    👉 सीख: अगर आप सच में बड़ा पैसा कमाना चाहते हैं, तो शॉर्ट टर्म में इमोशन्स से बचिए और लॉन्ग टर्म के लिए निवेश कीजिए। मार्केट का खेल धैर्य और समझदारी का है।

    Also read : Stock Market से पैसा कैसे कमाएं? लॉन्ग टर्म Vs शॉर्ट टर्म का सच!

    इमोशन्स को कंट्रोल करने के लिए क्या करें?

    अगर आप वाकई शेयर बाजार से पैसा कमाना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको अपने इमोशन्स पर कंट्रोल करना सीखना होगा। यहां कुछ आसान तरीके हैं:

    1. लॉन्ग टर्म सोचें:

    जब आप लंबे समय के लिए निवेश करते हैं, तो बाजार के उतार-चढ़ाव आपको कम प्रभावित करते हैं। इससे आप डर या लालच से बच सकते हैं।

    2. प्लान बनाकर निवेश करें:

    बिना प्लानिंग के निवेश करना, मतलब इमोशन्स के आधार पर फैसले लेना। पहले से एक मजबूत प्लान बनाएं और उस पर टिके रहें।

    3. लगातार मार्केट को मत देखें:

    हर दिन मार्केट चेक करने से इमोशन्स हावी हो जाते हैं। हफ्ते या महीने में एक बार पोर्टफोलियो देखें।

    4. प्रोफेशनल इन्वेस्टर की तरह सोचें:

    बड़े निवेशक कभी इमोशन्स से फैसले नहीं लेते। वे लॉन्ग टर्म पर फोकस करते हैं।

    👉 सीख: इमोशन्स कंट्रोल करेंगे, तो पैसा खुद-ब-खुद आएगा।

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    निष्कर्ष

    अगर आप शेयर बाजार में सच में अमीर बनना चाहते हैं, तो आपको स्टॉक्स से ज्यादा अपने माइंडसेट और इमोशन्स पर काम करना होगा। शेयर बाजार में पैसा कमाने का असली खेल बाजार के उतार-चढ़ाव को समझने और इमोशन्स को कंट्रोल करने का है।

    अगर आप डर और लालच पर काबू पा लेंगे, लॉन्ग टर्म नजरिया अपनाएंगे और मार्केट के शॉर्ट टर्म उतार-चढ़ाव से घबराएंगे नहीं  तो आपको अमीर बनने से कोई नहीं रोक सकता।

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    FAQ

    शेयर बाजार में 90% लोग क्यों पैसा गंवाते हैं?

    ज्यादातर लोग शेयर बाजार में पैसा इसलिए गंवाते हैं क्योंकि वे अपने इमोशन्स (डर और लालच) के आधार पर फैसले लेते हैं, न कि लॉजिक के आधार पर। जब बाजार गिरता है, तो वे डरकर बेच देते हैं और जब बाजार चढ़ता है, तो लालच में आकर ज्यादा निवेश करते हैं। यही गलती उन्हें घाटे में डाल देती है।

    इमोशन्स शेयर बाजार में निवेश को कैसे प्रभावित करते हैं?

    शेयर बाजार में इमोशन्स आपके निवेश के फैसलों को बहुत प्रभावित करते हैं। जब बाजार गिरता है, तो डर (Fear) आपको नुकसान से बचने के लिए बेचने पर मजबूर करता है। वहीं, जब बाजार तेजी से बढ़ता है, तो लालच (Greed) आपको बिना सोचे-समझे ज्यादा पैसा लगाने के लिए उकसाता है। यही इमोशन्स अक्सर नुकसान का कारण बनते हैं।

    शेयर बाजार में लॉस होने पर क्या करना चाहिए?

    जब शेयर बाजार में लॉस हो, तो घबराने के बजाय शांत रहना सबसे सही तरीका है। मार्केट में उतार-चढ़ाव आना सामान्य है। अगर आपने अच्छी कंपनियों में निवेश किया है, तो धैर्य रखें और लॉन्ग टर्म नजरिया बनाए रखें। जल्दबाजी में स्टॉक बेचने से ही असली नुकसान होता है। समय के साथ बाजार खुद रिकवर कर लेता है।

    शेयर बाजार में इमोशन्स को कंट्रोल कैसे करें?

    शेयर बाजार में इमोशन्स को कंट्रोल करने के लिए आपको लॉन्ग टर्म सोच अपनानी होगी। बार-बार मार्केट को देखने या हर उतार-चढ़ाव पर रिएक्ट करने से बचें। निवेश से पहले एक मजबूत प्लान बनाएं और उस पर टिके रहें। डर और लालच से बचकर, तर्कसंगत फैसले लें यही सफलता की कुंजी है।

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