How to Do Options Trading with Minimum Risk? Smart Ways in Hindi

 क्या ऑप्शन ट्रेडिंग में कम जोखिम के साथ मुनाफा कमाना मुमकिन है? अक्सर लोग ऑप्शन ट्रेडिंग को हाई रिस्क वाला गेम मानते हैं, जहाँ एक झटके में पूरा पैसा डूब सकता है। 

लेकिन क्या होगा अगर मैं कहूँ कि आप Options Trading with Minimum Risk के साथ  इस रिस्क को कम कर सकते हैं और स्मार्ट तरीके से ट्रेडिंग करके मुनाफा भी कमा सकते हैं?

Options Trading with Minimum Risk
Options Trading with Minimum Risk

हर ट्रेडर यही चाहता है,  ज्यादा मुनाफा, कम रिस्क! लेकिन सही स्ट्रेटेजी और रिस्क मैनेजमेंट के बिना, ऑप्शन ट्रेडिंग जुआ बन सकता है। 

इस ब्लॉग में हम आपको वो स्मार्ट तरीके बताएंगे, जिनसे आप ऑप्शन ट्रेडिंग में रिस्क को कम कर सकते हैं और मुनाफे को बढ़ा सकते हैं। तो चलिए, समझते हैं वो ज़रूरी बातें, जो हर ऑप्शन ट्रेडर को पता होनी चाहिए. 

अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग में कम से कम जोखिम के साथ बढ़िया प्रॉफिट कमाना चाहते हैं, तो आपको ट्रेडिंग को एक प्रोफेशनल की तरह अप्रोच करना होगा। यहाँ मैं आपको 5 सबसे स्मार्ट और अनोखे तरीके बताने वाला हूँ, जो आपको लॉस से बचाने और रिस्क को कंट्रोल करने में मदद करेंगे.

 “हेजिंग” का सही इस्तेमाल करें (Hedging Your Trades)

ऑप्शन ट्रेडिंग में हेजिंग (Hedging) एक ऐसी तकनीक है, जिससे आप अपने लॉस को कम कर सकते हैं और रिस्क को बैलेंस कर सकते हैं। इसे ऐसे समझें  जब आप बारिश की संभावना देखते हैं, तो आप छाता लेकर बाहर निकलते हैं। 

अगर बारिश होती है, तो छाता आपको भीगने से बचा लेता है, और अगर नहीं होती, तो कोई नुकसान नहीं होता। हेजिंग भी इसी तरह काम करता है, जहाँ आप सुरक्षा कवच की तरह एक और ट्रेड प्लान करते हैं ताकि अचानक हुए नुकसान से बचा जा सके।

अब सवाल यह आता है कि हेजिंग कैसे करें? मान लीजिए, आपने किसी स्टॉक या इंडेक्स का Call Option खरीदा है क्योंकि आपको लगता है कि मार्केट ऊपर जाएगा। लेकिन अगर बाजार आपके अनुमान के उलट गिर गया तो? यहाँ पर हेजिंग काम आती है। 

इस स्थिति में, आप साथ में Put Option भी खरीद सकते हैं, ताकि अगर बाजार गिरता है, तो Put Option से होने वाला मुनाफा आपके Call Option के नुकसान को कम कर दे।

हेजिंग करने के कई तरीके होते हैं, जैसे  Straddle, Strangle, Iron Condor और Spread Strategies।

उदाहरण के लिए, Straddle Strategy में एक ही Strike Price पर एक Call और एक Put Option खरीदा जाता है, जिससे मार्केट ऊपर या नीचे जाए, दोनों स्थितियों में फायदा हो सकता है। 

वहीं, Spread Strategies में एक ऑप्शन खरीदकर और दूसरा ऑप्शन बेचकर रिस्क को कंट्रोल किया जाता है।

हेजिंग को सही तरीके से इस्तेमाल करने के लिए आपको मार्केट के वॉलाटिलिटी, प्रीमियम और टाइम डिके (Theta) जैसे फैक्टर्स को ध्यान में रखना होगा। सही रणनीति अपनाने से आप अपने ट्रेडिंग कैपिटल की सुरक्षा कर सकते हैं और ज्यादा स्मार्ट तरीके से ऑप्शन ट्रेडिंग कर सकते हैं.

 “Deep In The Money” ऑप्शन क्यों बेहतर हैं? 

अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग में सही रणनीति अपनाना चाहते हैं, तो Deep In The Money (DITM) ऑप्शन खरीदना एक समझदारी भरा कदम हो सकता है। अक्सर नए ट्रेडर्स कम कीमत वाले ऑप्शन यानी सस्ते Out of the Money (OTM) ऑप्शन खरीदते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे बड़ा मुनाफा होगा। लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं होता!

मान लीजिए, रिलायंस का शेयर अभी ₹2500 पर ट्रेड कर रहा है, और आपको लगता है कि यह बढ़कर ₹2600 तक जा सकता है। 

अगर आप ₹2600 स्ट्राइक प्राइस का कॉल ऑप्शन खरीदते हैं (जो OTM होगा), तो यह सस्ता मिलेगा लेकिन इसमें जोखिम ज्यादा रहेगा, क्योंकि अगर शेयर ₹2600 तक नहीं पहुंचा तो आपका पूरा पैसा डूब सकता है। 

वहीं, अगर आप ₹2400 स्ट्राइक प्राइस का कॉल ऑप्शन खरीदते हैं (जो DITM होगा), तो इसमें पहले से ही कुछ वैल्यू होगी, और शेयर बढ़ने पर इसका प्रीमियम तेजी से बढ़ेगा। 

DITM ऑप्शन में टाइम डिके (Time Decay) का असर कम होता है और प्रॉफिट की संभावना ज्यादा रहती है, इसलिए यह ज्यादा सुरक्षित माना जाता है।

सस्ते ऑप्शन दिखने में आकर्षक लग सकते हैं, लेकिन इनके साथ दो बड़ी समस्याएं होती हैं:

  1. Time Decay (Theta Effect):  जैसे-जैसे एक्सपायरी करीब आती है, OTM ऑप्शन की कीमत तेजी से गिरने लगती है। अगर मार्केट आपकी उम्मीद के मुताबिक नहीं चला, तो इन ऑप्शंस की वैल्यू लगभग शून्य हो सकती है.

      2. Low Probability of Profit (POP):  ज्यादातर OTM ऑप्शंस एक्सपायरी तक बेकार हो जाते हैं। रिसर्च के मुताबिक, लगभग 80% OTM ऑप्शंस वर्थलेस एक्सपायर होते हैं, जिससे आपका पूरा पैसा डूब सकता है.

अब सवाल आता है कि DITM ऑप्शन ही क्यों?

  • Deep In The Money ऑप्शंस का Intrinsic Value ज्यादा होता है, इसलिए ये मार्केट मूवमेंट के साथ सही रिस्पॉन्स देते हैं.
  • इन ऑप्शंस का Delta 0.7 या उससे ज्यादा होता है, यानी अगर अंडरलाइंग स्टॉक ₹10 बढ़ता है, तो DITM ऑप्शन की कीमत ₹7 तक बढ़ सकती है, जिससे आपको बढ़िया रिटर्न मिलता है.
  • DITM ऑप्शन में Time Decay (Theta) का असर कम पड़ता है, जिससे ये लॉन्ग-टर्म होल्डिंग के लिए बेहतर होते हैं.

अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग में सफल होना चाहते हैं, तो सिर्फ सस्ते ऑप्शन खरीदने की गलती न करें। हमेशा Deep In The Money ऑप्शन चुनें, क्योंकि ये ज्यादा स्टेबल, प्रॉफिटेबल और लॉन्ग-टर्म में फायदेमंद साबित होते हैं.

स्टॉप-लॉस सेट करने का सही तरीका

स्टॉप-लॉस (Stop-Loss) किसी भी ऑप्शन ट्रेडर के लिए सबसे ज़रूरी टूल्स में से एक है, लेकिन ज्यादातर लोग इसे गलत तरीके से इस्तेमाल करते हैं। 

बहुत सारे नए ट्रेडर्स या तो स्टॉप-लॉस लगाते ही नहीं हैं, या फिर इसे इतना टाइट सेट कर देते हैं कि छोटी-सी मार्केट मूवमेंट में भी उनका ट्रिगर हो जाता है और वे नुकसान उठा लेते हैं।

अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग में रिस्क को सही तरीके से मैनेज करना चाहते हैं, तो स्टॉप-लॉस को स्मार्टली इस्तेमाल करना सीखें।

मान लीजिए, आपने ₹200 के प्रीमियम पर एक Nifty 50 Call Option खरीदा है। पिछले 14 दिनों का ATR ₹15 है, यानी औसतन रोज़ाना इतना उतार-चढ़ाव हो सकता है। अगर आप स्टॉप-लॉस को स्मार्ट तरीके से सेट करना चाहते हैं, तो ATR का 1.5 गुना या 2 गुना मान सकते हैं। 

उदाहरण के लिए, अगर आप 1.5x ATR का स्टॉप-लॉस चुनते हैं, तो यह होगा 200 – (1.5 × 15) = 177.5। इसी तरह, अगर आप 2x ATR लेते हैं, तो स्टॉप-लॉस 170 होगा।

 इस तरह, ATR की मदद से आपका स्टॉप-लॉस ज्यादा सटीक रहेगा और छोटी-छोटी मूवमेंट में बेवजह हिट नहीं होगा।

स्टॉप-लॉस सही से लगाने के लिए ये 5 बातें ध्यान रखें:

  1. Fix Percentage-Based Stop-Loss:  अपने कैपिटल का एक निश्चित प्रतिशत (जैसे 2-5%) ही रिस्क में डालें। मतलब, अगर आपकी ट्रेडिंग कैपिटल ₹1,00,000 है, तो एक ट्रेड में ₹2,000 से ₹5,000 से ज्यादा का रिस्क न लें.  

       2. Volatility को समझें:  ऑप्शन की कीमत बहुत तेजी से ऊपर-नीचे होती है, इसलिए ATR (Average True Range) जैसे इंडिकेटर का इस्तेमाल करके स्टॉप-लॉस सेट करें.

 
       3.  Trailing Stop-Loss लगाएं:  अगर आपकी पोजिशन प्रॉफिट में जाती है, तो स्टॉप-लॉस को धीरे-धीरे ऊपर (Buy Trade) या नीचे (Sell Trade) शिफ्ट करें ताकि आप अपने प्रॉफिट को लॉक कर सकें.
 
       4. Round Figures से बचें:  मार्केट में बहुत से ट्रेडर्स ₹100, ₹200 जैसे राउंड नंबर पर स्टॉप-लॉस लगाते हैं, जिससे बड़े प्लेयर्स इन्हें हिट करके मार्केट को उल्टा घुमा सकते हैं। इसलिए हमेशा थोड़े odd numbers जैसे ₹197 या ₹203 पर स्टॉप-लॉस लगाएं.
 
        5. Stop-Loss Order Type चुनें:  Stop-Loss Limit और Stop-Loss Market में फर्क समझें। अगर मार्केट बहुत ज्यादा वोलाटाइल है, तो SL-M (Stop Loss Market) से बचें क्योंकि यह स्लिपेज के कारण गलत प्राइस पर भी एग्जीक्यूट हो सकता है.
 

स्टॉप-लॉस को सही तरीके से सेट करना ऑप्शन ट्रेडिंग में गेम-चेंजर साबित हो सकता है। इसे बहुत टाइट या बहुत लूज न रखें, बल्कि मार्केट कंडीशन और अपनी रिस्क कैपेसिटी के अनुसार एडजस्ट करें।

स्मार्ट स्टॉप-लॉस लगाने से आप बड़े नुकसान से बच सकते हैं और अपनी ट्रेडिंग को लंबे समय तक प्रॉफिटेबल बना सकते हैं.

“गामा रिस्क” से बचें (Avoid Holding Options Till Expiry)

क्या आपने कभी ऐसा देखा है कि आपकी ऑप्शन पोजीशन एक्सपायरी के दिन अचानक तेज़ी से घाटे में चली गई? अगर हां, तो आपने “गामा रिस्क” (Gamma Risk) का सामना किया है। 

यह एक ऐसा रिस्क है, जो एक्सपायरी के करीब ऑप्शंस की कीमत में अचानक बड़े उतार-चढ़ाव लाता है और ट्रेडर्स को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है। इसलिए ऑप्शन को आखिरी समय तक होल्ड करना कई बार खतरनाक साबित हो सकता है।

गामा रिस्क क्या है?

गामा (Gamma) ऑप्शन ग्रीक्स में से एक है, जो डेल्टा (Delta) में होने वाले बदलाव को मापता है। जैसे-जैसे ऑप्शन एक्सपायरी के करीब आता है, इसका गामा तेजी से बढ़ता है। 

इसका मतलब यह है कि थोड़ी-सी भी मार्केट मूवमेंट आपकी ऑप्शन प्रीमियम की कीमत को बहुत ज्यादा प्रभावित कर सकती है। 

अगर बाजार आपकी दिशा में जाता है, तो आपको भारी मुनाफा हो सकता है, लेकिन अगर जरा-सा भी विपरीत चला गया, तो आपका ऑप्शन पूरी तरह बेकार (Worthless) हो सकता है।

गामा रिस्क से कैसे बचें?

  1. एक्सपायरी तक वेट न करें: अगर आपका ऑप्शन पहले से प्रॉफिट में है, तो उसे एक्सपायरी से पहले ही बुक कर लेना बेहतर होता है। आखिरी दिन अनावश्यक रिस्क लेने का कोई फायदा नहीं.

     2. ATM और ITM ऑप्शंस पर ध्यान दें: ओटीएम (Out of the Money) ऑप्शंस एक्सपायरी के दिन सबसे ज्यादा रिस्की होते हैं। इसलिए अगर आप ट्रेड कर रहे हैं, तो ITM (In the Money) ऑप्शंस को प्राथमिकता दें.

     3. हाइ वोलाटिलिटी से बचें: एक्सपायरी के दिन मार्केट में उतार-चढ़ाव काफी ज्यादा रहता है, जिससे ऑप्शन प्रीमियम तेजी से गिर सकता है। इसलिए हाई वोलाटिलिटी वाले ट्रेड्स से बचें.
 
    4. हेजिंग स्ट्रेटेजी अपनाएं: अगर आपको ऑप्शन होल्ड करना ही है, तो उसे हेज करके रखें, ताकि नुकसान सीमित रहे.

गामा रिस्क को समझना हर ऑप्शन ट्रेडर के लिए जरूरी है। एक्सपायरी के दिन ऑप्शन को होल्ड करना एक जुआ खेलने जैसा हो सकता है, जहां एक छोटी-सी गलती बड़ा नुकसान कर सकती है। 

इसलिए समझदारी इसी में है कि प्रॉफिट बुक करें और रिस्क को मैनेज करें.

“Delta Neutral Strategy” अपनाएं (Trade Like a Hedge Fund)

क्या आपको ऑप्शन ट्रेडिंग में बिना ज्यादा रिस्क लिए लगातार मुनाफा कमाने का तरीका चाहिए? अगर हां, तो Delta Neutral Strategy आपके लिए एक बेहतरीन तरीका हो सकता है।

 यह वही स्ट्रेटेजी है जिसे बड़े हेज फंड्स और प्रोफेशनल ट्रेडर्स फॉलो करते हैं ताकि वे मार्केट मूवमेंट से खुद को बचा सकें और एक स्टेबल प्रॉफिट बना सकें।

Delta Neutral Strategy क्या होती है?

Delta Neutral Strategy
Delta Neutral Strategy
 

इस स्ट्रेटेजी का मुख्य उद्देश्य आपके पोर्टफोलियो का डेल्टा  को न्यूट्रल रखना होता है। डेल्टा एक ऑप्शन ग्रीक है, जो यह बताता है कि ऑप्शन प्रीमियम मेंUnderlying Stock के मूवमेंट के हिसाब से कितना बदलाव आएगा। 

गर आपका डेल्टा न्यूट्रल है, तो मार्केट ऊपर जाए या नीचे  आपकी पोजीशन ज्यादा प्रभावित नहीं होगी।

Delta Neutral Strategy एक ऐसी ट्रेडिंग टेक्निक है जिसमें मार्केट ऊपर जाए या नीचे, आपके पोर्टफोलियो पर ज्यादा असर नहीं पड़ता। 

इसमें आप ऐसे ऑप्शंस (Call और Put) को इस तरह से खरीदते या बेचते हैं कि उनका डेल्टा (price movement का effect) मिलाकर लगभग 0 हो जाए। 

इससे आपका मुनाफा या नुकसान मार्केट की सीधी दिशा पर निर्भर नहीं करता।

 उदाहरण के लिए, अगर आपने कोई Call Option लिया है जिसका डेल्टा +0.5 है, तो आप साथ में एक Put Option खरीद सकते हैं जिसका डेल्टा -0.5 हो, जिससे कुल डेल्टा 0 हो जाएगा। इस तरह, मार्केट कहीं भी जाए, आपका रिस्क काफी कम हो जाता है।

कैसे काम करती है यह रणनीति?

  1. Call और Put ऑप्शंस को बैलेंस करें: अगर आपने कोई ऑप्शन खरीदा है, तो उसके साथ एक उल्टी पोजीशन लेकर डेल्टा को बैलेंस किया जाता है.

      2. स्टॉक्स और ऑप्शंस का कॉम्बिनेशन: कई बार ट्रेडर्स ऑप्शन के साथ स्टॉक्स को भी एडजस्ट करके डेल्टा न्यूट्रल रखते हैं.

      3.  मार्केट मूवमेंट के हिसाब से एडजस्टमेंट: चूंकि डेल्टा लगातार बदलता रहता है, इसलिए इसे समय-समय पर एडजस्ट करना जरूरी होता है.

 

Delta Neutral Strategy के फायदे

Delta Neutral Strategy अपनाने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह मार्केट के उतार-चढ़ाव से बचाने में मदद करती है। इसमें आपका पोर्टफोलियो बैलेंस रहता है, जिससे आपको बड़े नुकसान की चिंता नहीं करनी पड़ती। यह रणनीति खासतौर पर उन ट्रेडर्स के लिए फायदेमंद होती है, जो स्थिर और कम जोखिम वाला रिटर्न चाहते हैं। 

इस स्ट्रेटेजी का एक और बड़ा लाभ यह है कि इसमें हेज फंड्स और प्रोफेशनल ट्रेडर्स की तरह ट्रेडिंग की जा सकती है, जहां मार्केट के किसी भी दिशा में जाने पर आपका पोर्टफोलियो सुरक्षित रहता है। 

इसके अलावा, यह रणनीति ऑप्शन ग्रीक्स को सही तरीके से मैनेज करने में मदद करती है, जिससे ट्रेडर्स ज्यादा कंट्रोल के साथ अपने इन्वेस्टमेंट का प्रबंधन कर सकते हैं। 

अगर आप ट्रेडिंग में रिस्क को कम करके लगातार मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो Delta Neutral Strategy एक बेहतरीन विकल्प साबित हो सकती है.

क्या यह आपके लिए सही है?

अगर आप कम रिस्क में स्टेबल इनकम चाहते हैं और अपनी ट्रेडिंग को प्रो लेवल पर ले जाना चाहते हैं, तो Delta Neutral Strategy को जरूर सीखें और अपने ट्रेडिंग सिस्टम में अप्लाई करें। 

याद रखें, स्मार्ट ट्रेडिंग ही असली ट्रेडिंग है. अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग के ऑप्शन (Greek) देखना चाहते हो तो आपके लिए Zerodha का Sensibull प्लेटफार्म आपके लिए अच्छा रहेगा

निष्कर्ष:

अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग में मुनाफा कमाना चाहते हैं, लेकिन बिना बेवजह बड़े रिस्क लिए, तो स्मार्ट स्ट्रेटेजी अपनाना बेहद जरूरी है। Hedging से लेकर Deep In The Money ऑप्शन खरीदने तक, हर तरीका आपको मार्केट के उतार-चढ़ाव में सुरक्षित रखता है। 

Stop-Loss को सही से सेट करना और Expiry तक ऑप्शन होल्ड करने से बचना आपकी पूंजी को बचाने में मदद करता है। वहीं, Delta Neutral Strategy जैसी प्रोफेशनल टेक्निक्स अपनाकर आप ट्रेडिंग को एक नए लेवल पर ले जा सकते हैं।

सच्चाई यही है कि ऑप्शन ट्रेडिंग में रिस्क को खत्म नहीं किया जा सकता, लेकिन समझदारी और सही रणनीतियों के साथ इसे काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। इसलिए, जल्दबाजी में ट्रेड न करें, पहले सीखें, फिर समझदारी से अपने कदम बढ़ाएं। 

अगर आप लॉन्ग टर्म में एक सफल ऑप्शन ट्रेडर बनना चाहते हैं, तो रिस्क मैनेजमेंट को अपनी ट्रेडिंग का अहम हिस्सा बनाएं। यही सबसे बड़ी जीत की कुंजी है. 

अगर आप स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग या इन्वेस्टमेंट करने के लिए अपना ट्रेडिंग अकाउंट खोलना  चाहते हो, तो  निचे दिए हुए लिंक पर क्लिक करे और एकाउंट ओपन करवाए.

https://zerodha.com/?c=ZM0096&s=CONSOLE

 
अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो तो इस ब्लॉग को शेयर करें और अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं.
 

FAQs

क्या ऑप्शन ट्रेडिंग बिना बड़ा नुकसान किए संभव है?

हाँ, ऑप्शन ट्रेडिंग बिना बड़े नुकसान के भी की जा सकती है, लेकिन इसके लिए सही रणनीति ज़रूरी है। कम रिस्क के लिए स्प्रेड्स (जैसे कि कॉल स्प्रेड, पुट स्प्रेड) का इस्तेमाल करें, हमेशा स्टॉप-लॉस सेट करें और ज्यादा लेवरेज से बचें। धीरे-धीरे सीखें, छोटे ट्रेड से शुरुआत करें, और मार्केट ट्रेंड को समझकर फैसला लें।

क्या ऑप्शन ट्रेडिंग स्टॉक मार्केट के मुकाबले ज्यादा फायदेमंद है?

ऑप्शन ट्रेडिंग स्टॉक मार्केट से ज्यादा फायदेमंद हो सकती है, लेकिन यह जोखिम पर निर्भर करता है। इसमें कम पूंजी से ज्यादा मुनाफा कमाने का मौका मिलता है, लेकिन सही रणनीति और अनुशासन जरूरी है। वहीं, स्टॉक्स में निवेश ज्यादा स्थिर होता है। अगर रिस्क मैनेजमेंट सही हो, तो ऑप्शन ट्रेडिंग बेहतर रिटर्न दे सकती है।

क्या ऑप्शन ट्रेडिंग में बिना बड़ा रिस्क लिए भी मुनाफा कमाया जा सकता है?

हाँ, ऑप्शन ट्रेडिंग में बिना बड़ा रिस्क लिए भी मुनाफा कमाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए सही रणनीति जरूरी है। स्प्रेड्स, हेजिंग और कवर कॉल जैसी कम-जोखिम वाली तकनीकों का इस्तेमाल करके आप रिस्क को कंट्रोल कर सकते हैं। सही जानकारी, रिसर्च और अनुशासन के साथ, सुरक्षित तरीके से भी अच्छा रिटर्न पाया जा सकता है।

क्या ऑप्शन ट्रेडिंग सिर्फ अमीर लोगों के लिए है, या छोटे निवेशक भी कर सकते हैं?

नहीं, ऑप्शन ट्रेडिंग सिर्फ अमीर लोगों के लिए नहीं है। छोटे निवेशक भी इसमें हिस्सा ले सकते हैं, लेकिन सही ज्ञान और रणनीति जरूरी है। कम पूंजी के साथ स्प्रेड्स और हेजिंग जैसी सुरक्षित रणनीतियाँ अपनाकर छोटे निवेशक भी जोखिम को सीमित रखते हुए मुनाफा कमा सकते हैं। सीखना और समझदारी से ट्रेड करना ज़रूरी है।
 

2 thoughts on “How to Do Options Trading with Minimum Risk? Smart Ways in Hindi”

Leave a Comment